विषाक्त मुक्त वातावरण हेतु नमामि गंगे योजनांतर्गत किया गया जैविक मेला का आयोजन।

विषाक्त मुक्त वातावरण हेतु नमामि गंगे योजनांतर्गत किया गया जैविक मेला का आयोजन। 



खबर उत्तर प्रदेश के जनपद मीरजापुर से है।  हरित क्रांति के पश्चात कृषि में अन्धाधुन्ध एवं असंतुलित रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य में लगातार गिरावट के कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता प्रभावित हो रही है। मिट्टी के स्वास्थ्य को भविष्य के लिए सुरक्षित रखनें एवं वातावरण को विषाक्त मुक्त बनाने के लिए नमामि गंगे योजना अंतर्गत जनपद मीरजापुर के विकास खण्ड सीटी में जैविक मेला का आयोजन ग्राम पंचायत सण्डवा एवं जिउती में आयोजित किया गया, जिसमें जनपद के मास्टर ट्रेनर श्री योगेंद्र कुमार सिंह ने सजीव प्रसारण के द्वारा जीवामृत, घन जीवामृत, निमास्त्र, ब्रह्मास्त्र इत्यादि बनाने की विधि पर चर्चा करते हुए बताया गया कि यदि इन सब का समावेश खेती में किया जाए तो लागत में कमी के साथ जहर मुक्त अनाज, फल-फूल एवं सब्जी उत्पादित कर कृषक भाई अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। 



सहयोगी संस्था बायो शर्ट इण्टर नेशनल प्रा0लि0 से श्री निशांत मिश्रा एवं उनके सहयोगियों ने जैविक खेती पर चर्चा करते हुए खेत में जीवांश बढ़ाने हेतु वर्मी कंपोस्ट, सनई ढैंचा इत्यादि के प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि यदि मिट्टी को भविष्य के लिए बचाना है तो, केवल मिट्टी में जिवांश की मात्रा बढानें से ही सम्भव हो पायेगा। 



कृषि विभाग से डा0 पंकज कुमार मिश्रा द्वारा मृदा परिक्षण एवं संतुलित पोषक तत्व प्रबन्धन पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि यदि मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखना है, तो मिट्टी के अन्दर जिवांश की मात्रा बढानी पडे़गी, जिसके लिए फसल अवशेष को वेस्ट-डी कम्पोजर का प्रयोग करते हुए खेत में सड़ा कर खेत के अन्दर जिवांश की मात्रा बढाया जा सकता है, जिससे खेती में सिंचाई व पोषक तत्वों की लागत में कमी लायी जा सकती है। इस कार्यक्रम में कुल 200 से अधिक कृषकों नें जैविक मेला में प्रतिभाग कर जैविक खेती सम्बन्धित नविन तकनिक के बारे में जानकारी प्राप्त किये।

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