भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी के के द्वारा नौगढ़ में मनाया गया शौर्य दिवस।

 भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी के के द्वारा नौगढ़ में मनाया गया शौर्य दिवस।



मदन मोहन नौगढ़ चंदौली



 आज दिनांक 01- जनवरी  -2025 को चन्दौली जिले के दूरस्थ बनांचल विकास खण्ड नौगढ़ में भीम आर्मी व भारत एकता मिशन व आजाद समाज पार्टी ( कांशी राम ) के तत्वाधान में एक कार्यक्रम का आयोजन डा ० भीम राव अंबेडकर पार्क नौगढ़ में रखा गया



आयोजन- मा॰ श्याम सुन्दर ( जिला सचिव ASP ) मास्टर राम चन्द्र राम ( जिला संरक्षक भीम आर्मी )तथा अध्यक्षता मा ०रामदीन ने की ।

मुख्य अतिथि मा ॰ शैलेश कुमार (जिला अध्यक्ष ASP ) तथा विशिष्ट अतिथि उपेन्द्र कुमार गाडगे व नन्दन कुमार जी रहे |

कार्यक्रम का संचालन एड॰ दिनेश कुमार जी ने किया ।

वक्ताओं ने भीमा कोरे गाँव में  एक जनवरी 1818 में महार रेजिमेन्ट व पेशवा बाजी राव द्वितीय के बीच हुए संग्राम में 500 महार सैनिकों ने 28000 पेशवा सैनिको को धूल चटा दिया ।


1 जनवरी शौर्य दिवस क्या है?

 जानकारी देते हुए मास्टर राम चन्द्र राम ने बताया -

भीमाकोरेगांव की लड़ाई उन 500 महार शूरवीरों का इतिहास है जो कि ब्राह्मणों के आंतकवाद की चर्मसीमा दर्शाती है 18वीं सदी में महाराष्ट्र में भीमा नदी के आस पास सबे गांव को भीमाकोरेगांव कहते हैं वहाँ ब्राह्मण पेशवाओं ने ऊंच नीच भेदभाव का इतना आतंक फैला दिया था कि शूद्रों के गले में हांडी और पिछवाड़े पर झाड़ू बांधकर चलने पर बिबस कर दिया था गले में हांडी बांधने का कारण था कि शूद्र जमीन पर न थूंके क्योंकि अगर शूद्रों की थूंक पर ब्राह्मणों का पैर पड़ जायेगा तो वह अशुद्ध हो जायेगा और उसे गंगा स्नान करने जाना पड़ेगा पीछे झाड़ू बांधने का कारण था कि शूद्र जहां चले तो उनके पैरों के निशान मिट जाये क्योंकि अगर उनके पैरों के निशा पर ब्राह्मणों का पैर पड जायेगा तो वे अशुद्ध हो जायेंगे और उनको गंगा नदी स्नान करना पड़ेगा। यहां तक कि शूद्रों की परछाई पडऩे पर भी ब्राह्मण अशुद्ध हो जाता था इसलिए सुबह और सायं को शूद्रों (महारों) को घर से निकलना भी मना था ब्राह्मणों ने छुआछूत का आतंक फैला कर शूद्रों को पशुओं से भी बदतर बना दिया था।

ब्राह्मण पेशवाओं के आतंक से शूद्र महार अंदर ही अंदर बदले की आग  में जल रहे थे महारों को सेना में भर्ती होने का अधिकार नहीं था अंग्रेज़ी सरकार ने इसका पूरा फायदा उठाया और महारों को अपनी सेना में शामिल कर लिया शूद्र (महार) ब्राह्मण पेशवाओं से अपने अपमान का बदला लेने के लिए छटपटा रहे थे अंग्रेजी सरकार ने मौका दिया।

शैलेश कुमार जिलाध्यक्ष (A sp ) ने बताया कि

500महार शूरवीरों ने 28000पेशवा ब्राह्मणों से लड़ने के लिए 31 दिसंबर की रात्रि को 30 किलोमीटर पैदल चलकर भीमाकोरेगांव पहुंचे। 


1818 की कोरेगांव की लड़ाई दलितों के लिए काफी अहम है।

अवधेश कुमार जी ने बताया 

1 जनवरी 1818 को, ईस्ट इंडिया कंपनी की बॉम्बे प्रेसीडेंसी जिनमें 500 की संख्या में महार थे ,  पेशवा बाजीराव द्वितीय की संख्यात्मक रूप से बेहतर 28,000 सेना को हराया । मृत सैनिकों की स्मृति में अंग्रेजों द्वारा कोरेगांव में एक विजय स्तंभ ( विजय स्तंभ ) बनवाया गया था।

 1928 में, बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर ने यहां पहले स्मरणोत्सव समारोह का नेतृत्व किया था। तब से, हर साल 1 जनवरी को, अंबेडकरवादी  उच्च जाति शासन के खिलाफ अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए भीमा कोरेगांव में इकट्ठा होते हैं , जिन्हें वे अपने उत्पीड़कों के रूप में देखते हैं। 

दिल बहार जी ने बताया कि


ब्राह्मणवादी लोग कभी भी शूद्रों (OBC, SC, ST) के साथ न्याय नहीं कर सकते हैं इसलिए ही बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने 14अकटूबर 1956 को हिन्दू धर्म को लात मार कर बुद्ध धम्म अपनाया था और पूरे भारत को बुद्धमय बनाने का संकल्प लिया था आज जो लोग हिन्दू बनकर नीच जाति के बने हुए हैं वे सवरणो द्वारा अपमानित होने का इंतजार कर रहे हैं।

सभा को सम्बोधित करते हुए उपेन्द्र कुमार गाडगे ने कहा कि माता सावित्री वाई फूले जी ने आज ही के दिन दलितो महिलाओं के लिए प्रथम पाठशाला खोली थी।


बहन चन्दा ने कही कि


राज्य सभा में सम्बोधित करते हुए मा ० गृह मंत्री जी ने बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर जी का जो अपमान किया है वह क्षमा योग्य नहीं है ।

, दिनेश कुमार , सुरेश कुमार , दर्शन गान्धी लोक गायक, डा ० कुरील , कुलदीप , अशोक कनौजिया , महेश , बनवारी ,

अश्विनी कुमार , प्रदीप वैद्यजी

शशान्त ,सुबाष , राजकुमार , सुकालू सूपाभगत चन्द्रभान सिंह , व चन्द्रभान ( जिला संगठन मंत्री ASP ) सहित सैकड़ों लोगों ने शिरकत की ।

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